आज हम अपने नबी के नाम की फज़ीलत जानेंगे और इन बातों को जानेंगे-
- हमारे नबी के नाम की फज़ीलत
- हर मख़लूक में हमारे नबी का अलग नाम
- क़ुरान शरीफ में हमारे नबी का नाम
- दुरूद शरीफ की फज़ीलतें और हमारे नबी का नाम
- दुरुद और शहद का मीठा होना
- एक बनी इसरईल का जन्नती हो जाना
- हमारे नबी के नाम से लड़का पैदा होने का अमल
पोस्ट को पूरा ज़रूर पढ़ें बहुत ही काम की और ज़रूरी बातों को हमने इसमें लिखने की कोशिश की है
Hamare Nabi ke naam ki fazeelat : हमारे नबी के नाम की फज़ीलत
Hamare nabi ke Kitne naam hai : हमारे नबी के कितने नाम हैं:-
ह़ुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआला अलैही वसल्लम के ज़ाती नाम दो हैं “मुहम्मद” और “अहमद” बाकी सिफाती नाम 201 हैं, और मदारिजुन्नबूव्वत की रिवायत के मुताबिक 1000 हैं
Har makhlooq me hamare nabi ka alag naam : हर मख़लूक में हमारे नबी का अलग नाम
तफसीरे सावी में हैं के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम का नाम शरीफ सुरयाई ज़बान में जो तौरात की ज़बान है मुनहम्मान है, जिसके मअ़ना है “मुहम्मद” सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम” ख्वाजा ह़सन बसरी रज़िअल्लाहुतआ़ला ने कअ़ब अह़बार से रिवायत की के हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का नामे मुबारक जन्नत वालों के नज़दीक “अब्दुल करीम” है, दोज़खियों के नज़दीक “अब्दुल जब्बार” अर्श वालों की ज़बान में “अब्दुल मजीद” बाकी तमाम फरिश्तों की ज़बान पर “अब्दुल हमीद” और सारे नबियों के नज़दीक अब्दुल वह़्हाब है शैतानों के मुंह पर “अब्दुल क़ाहिर” जिन्नात की ज़बान पर अब्दुर्रह़ीम पहाड़ों पर “अब्दुल खालिक” खुशकियों में “अब्दुल क़ादिर” दरिया में “अब्दुल मुहीमन” कीड़े मकोड़ों की ज़बान पर “अब्दुल ग़यास” वह़शी जानवरों की ज़बान पर “अब्दुर्रज़्ज़ाक़” तौरात में “मुज़ मुज़” इंजील में “ताब ताब” ज़बूर में फारूक़ बाकी आसमानी सह़ीफों में “आ़क़िब”और रब तआ़ला के यहां “तुयाहा” और “मोहम्मद” सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम है |
Quran me hamare nabi ka naam : क़ुरान शरीफ में हमारे नबी का नाम:-
अल्लाह तआला ने हुज़ूरे अक़दस सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम को क़ुरान मजीद में 11 जगह “या अय्यूहन्नबी”कहकर ख़िताब फरमाया, क़ुरान मजीद में नामे “मुहम्मद” चार जगह आया है और नामे “अहमद” एक जगह, सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम, हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम की इताअ़त पूरे तौर पर वाजिब है,, चाहे अ़क़ल में आए या ना आए | हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ऐसा हुक्म दें, जो देखने में कुरान के हुक्म के खिलाफ मालूम होता हो, तब भी हुज़ूर की इताअत लाजि़म है, जैसा के सोना चांदी मर्द के लिए ह़राम है, लेकिन हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने एक सहाबी के लिए सोना जायज़ कर दिया था, तो सब ने उनकी इताअ़त की,
Durud shreef ki fazeelate or hamare nabi ka naam : दुरूद शरीफ की फज़ीलतें और हमारे नबी का नाम:-
- नबीये अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम पर दुरुद शरीफ पढ़ना हर मुसलमान पर उमर में एक बार फर्ज़ है |
- रसूले खुदा सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने फरमाया मेरे पास “जिब्राईल” ,”इसरफील”, “मिकाईल” और “इज़राइल आए जिब्राइल ने फरमाया जो आप पर दुरूद भेजेगा मैं उसका हाथ पकड़ कर उसे पुल सिरात से उतारुंगा, मीकाईल ने कहा मैं आप के ह़ौज़े कौसर से उसको पानी पिलाऊंगा, इसरफील ने कहा रसूले खुदा सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने फरमाया मेरे पास “जिब्राईल” ,”इसरफील”, “मिकाईल” और “इज़राइल आए जिब्राइल ने फरमाया जो आप पर दुरूद भेजेगा मैं उसका हाथ पकड़ कर उसे पुल सिरात से उतारुंगा, मीकाईल ने कहा मैं आप के ह़ौज़े कौसर से उसको पानी पिलाऊंगा, इसरफील ने कहा मैं खुदा के सामने सजदा करूंगा,और जब तक उसकी मग़फिरत नहीं होगी सजदे से सर ना उठाऊंगा, इज़राईल ने कहा मैं उसकी रूह इस तरह क़ब्ज़ करूंगा जिस तरह अंबिया की करता हूं |
- हदीस शरीफ में आया है कि जो शख्स “ला इलाहा इलल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह” पढ़ता है, उसके नामय आमाल से 4000 गुना मिट जाते हैं |
- हदीस शरीफ में है नबीये करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया,, “जो शख्स मेरा नाम अज़ान में सुनता है और मोहब्बत से अंगूठे चूम कर आंखों से मलता है वह कभी अंधा ना होगा”|
- अक्सर लोग आजकल हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम के नामे मुबारक के साथ “स.अ़.व” या दूसरे निशान बनाते हैं, इमाम जलालुद्दीन सयूती फरमाते हैं पहला वह शख्स जिसने दुरुद शरीफ का ऐसा इख्तिसार इख़्तियार किया उसका हाथ काटा गया, अल्लामा त़ह़ावी का क़ौल है कि नामे मुबारक के साथ दुरूद या सलाम का ऐसा इख़्तिसार लिखने वाला काफिर हो जाता है, अगर उसने अंबिया इकराम की शान को कम करने के लिए लिखा हो, इसलिए ऐसे अल्फ़ाज़ को हमें नहीं लिखना चाहिए बल्कि पूरा दुरुद या सलाम लिखना चाहिए |
- नमाज़ में क़ादय अख़ीरा में अत्ताहियात के बाद दुरुद शरीफ पढ़ना उ़ल्मा के नज़दीक सुन्नत है ,मगर इमामे शाफई़ के नज़दीक फर्ज़ है |
- एक शख्स हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम का नामे पाक लिखता तो उसके साथ सल्लल्लाहो अलैही लिखता वसल्लम नहीं लिखता था तो हज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने ख्वाब में उस पर ई़ताब फरमाया और फरमाया कि तू खुद को 40 नेकियों से मैह़रूम रखता है ,यानी लफ़्ज़े वसल्लम में चार ह़रूफ हैं और हर ह़रूके बदले 10 नेकियां हैं, लिहाज़ा इस ह़िसाब से 40 नेकियां होती हैं |
- हज़रत शेख अब्दुल ह़क़ मुहद्दिस देहलवी रहमतुल्लाह अलैह “जज़्बुल क़ुलूब” में फरमाते हैं कि एक शख्स कागज़ की बचत के ख्याल से हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के नामे पाक के साथ दुरूद नहीं लिखता था तो उसका हाथ सड़ने लगा |
- ह़दीस में है कि हर मोमिन के साथ पांच फरिश्ते रहते हैं, एक दाएं जो नेकियाँ लिखता है, एक बाईं तरफ जो बुराइयां लिखता है, एक सामने जो भलाईयों की तलकीन करता है, एक पीठ पीछे जो मकरुहात को दफा करता है एक पेशानी के पास जो दुरुद ओ सलाम लिख कर नबी ए करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम की ख़िदमत में पेश करता है
- मशहूर ओ मारूफ दुरूदे ताज हज़रत ख्वाजा सैय्यद अबुल हसन शाज़िली रज़ि अल्लाहु तआ़ला अन्हु ने हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की जनाब में ज़ियारत के वक्त पेश किया था |
Durud or shahed ka meetha hona : दुरुद और शहद का मीठा होना
मुसनवी शरीफ में है कि एक मर्तबा सैय्यदे आलम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने शहद की मक्खी से पूछा कि तू शहद कैसे बनाती है, उसने अर्ज़ किया ऐ ह़बीबे खुदा सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम हम चमन में जाकर तरह-तरह के फूलों का रस चूसते हैं, फिर उसको मुंह में लेकर अपने छात्तों तक आ जाते हैं और वहां उगल देते हैं, वही शहद है हुजूर सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने फरमाया फूलों के रस फीके या कसीले होते हैं, और शहद मीठा, यह मिठास कहां से आती है?
शहद की मक्खी ने अर्ज़ किया हमें कुदरत ने सिखाया है कि हम चमन से लेकर छतों तक रास्ते भर आप पर दुरूद पढ़ते हुए आते हैं उसी की बरकत से शहद में लज़्ज़त और मिठास पैदा होती है |
Ek bani israeel ka jannati ho Jana : एक बनी इसरईल का जन्नती हो जाना
एक इसराइली 100 बरस का गुनाहगार था ,बाद मौत लोगों ने उसे घोड़े पर डाल दिया और छोड़ दिया रब्बे तआ़ला ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को वही के ज़रिए बताया मेरे उस बंदे को ग़ुस्ल कफन नमाज़ के बाद दफन करो उसने एक बार “तौरैत” में मुहम्मद नाम देखकर उसे बोसा दिया था, आंखों से लगाया था, हमने उसके गुनाह बख्श दिए |
Hamare nabi ke naam se ladka paida hone ka amal | हमारे नबी के नाम से लड़का पैदा होने का अमल
जिस किसी की लड़कियां ही होती हों बेटा ना हो वह शुरू ज़माने ह़मल में अपनी बीवी के पेट पर उंगली से लिख दिया करें जो इस पेट में है उसका नाम “मुहम्मद” है इंशाअल्लाह बेटा ही होगा , मगर हमल के 4 माह के अंदर यह अमल 40 रोज़ तक करें |
Conclusions : नतिजा
आज हमने इस पोस्ट में सकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नाम की फ़ज़ीलतो के वारे में बताया है। इसके अलवा हमारे नबी के नाम की बरकतो का भी बयान किया है।
उम्मीद करता हुं की ये पोस्ट आपको पसंद आएगी, इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा से शेयर करे और हमें कमेंट करे जरूर बताएं।
इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।