Hazrat Maula Ali ka Gharana : हज़रत मौला अली का घराना

आज हम इस पोस्ट में हज़रत अली और उनके घराने के बारे में जानेंगे और इन बातों पे गौर करेंगे:-

  1. इमाम हुसैन की विलादत कब हुई
  2. इबादते हुसैनजु़लजनाह
  3. इमाम हसन के बेटे
  4. करबला में लश्कर की तादात
  5. वोह घोड़ा जो करबला में आपके साथ था
  6. हज़रत इमाम हुसैन की शहादत
  7. हज़रत इमाम हसन को ज़हर किसने दिया
  8. अली और उनके घराने की शान
  9. निकाह के वक्त हज़रत अली की उम्र
  10. हज़रत अली की मज़ार को दुनियां से क्यों छुपिया गया
  11. बीवी फातिमा का महेर कितना था
  12. ज़ैनुल आबिदीन की उम्र

पोस्ट को पूरा ज़रूर पढ़ें और सदकऐ जरिया के तौर पर लोगों को भेजें

Imam Hussain ki wiladat kab hui : इमाम हुसैन की विलादत कब हुई :-

हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की विलादत वा सआदत शाबान सन्न चार हिजरी की पांचवी तारीख़ मंगल के दिन मदीना मुनव्वरा में हुई। बाज़ मुफस्सिरीन ने शाबान सन्न तीन हिजरी को तीसरी तारीख बुध का रोज़ भी लिखा है। हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की विलादत छे महीने में हुई हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम के सिवा ये शर्फ किसी को नहीं मिला ।

Ibadate Hussain : इबादते हुसैन:-

हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु हर रात में एक हज़ार रकात नमाज़ पढ़ते थे। इस बात को आपके साहब ज़ादे हज़रत इमाम ज़ैनुल अबिदीन ने बयान फरमाया है।

हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु ने अपनी जिंदगी में पच्चीस हज अदा किए और सब हज पैदल ही अदा फरमाए ।

Imam Hasan ke bete : इमाम हसन के बेटे:-

हज़रत इमाम हसन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु बीस बेटों में से सात बेटे जंगे करबला में मौजूद थे जिनमे से पांच शहीद हो गए थे ।

Karbala me lashkar ki tadat : करबला में लश्कर की तादात:-

करबला की जंग में हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की फौज में 72 और यज़ीद पलीद की फौज में 30,000 लोग शामिल थे।

Woh ghoda jo karbala me aapke sath tha : वोह घोड़ा जो करबला में आपके साथ था:-

हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु के घोड़े का नाम “जु़लजनाह” था और वोह जनाब मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम के घोड़ों में से सबसे अच्छा घोड़ा था । हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की शहादत के बाद वोह घोड़ा दरिया फरात में डूब गया ।

hazrat imam Hussain ki shahadat : हज़रत इमाम हुसैन की शहादत:-

हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की शहादत 10 मोहर्रम जुम्मे के दिन 61 हिजरी को जुम्मे की नमाज़ के वक्त हुई। शहादत के वक्त हज़रत इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की उम्र शरीफ़ 56 साल पांच महीने पांच दिन थी।

बीवी फातिमा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हा अपने वालिद माजिद जनाब मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम की वफात के बाद छे महीने तक जिंदा रहीं और जब तक ज़िंदा रहीं कभी ज़ोर से न हंसी।

Hazrat imam Hussain ko zeher kisne dia : हज़रत इमाम हसन को ज़हर किसने दिया:-

हज़रत इमाम हसन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु को उनकी बीवी जाअदा बिन्ते अशअस ने ज़हर दिया था जिससे आपकी शहादत हुई थी।

हज़रत इमाम हसन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु को 5 बार ज़हर दिया गया मगर असर न हुआ लेकिन छटी बार के ज़हर ने आपके जिगर के टुकड़े टुकड़े कर दिए ।

Ali ki Shan : अली और उनके घराने की शान :-

  1. हज़रत मौला अली के बारे में मशहूर है कि आप जब तीर लग जाते थे तो आप फरमाते थे जब मैं नमाज़ पढ़ू तो तीरों को निकाल देना और ऐसा ही किया जाता जब आप नमाज़ पढ़ते तो तीरों को आपके जिस्म से निकाला जाता आप फरमाते जब मैं नमाज़ पढ़ता हूं तो मुझे कोई खबर नहीं रहती ।
  2. हज़रत सअद बिन अबी वकास रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है जनाब मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम ने इरशाद फ़रमाया तुम मुझसे कुर्बत (करीबी ताल्लुक़) रखने में ऐसे हो जैसे हारून अलैहिस्सलाम मूसा अलैहिस्सलाम के वास्ते थे फ़र्क इतना है कि मेरे बाद कोई नबी नहीं आएगा और हारून अलैहिस्सलाम नबी थे।
  3. हज़रत इमरान बिन हुसैन कहते हैं रसूले पाक सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया नसब में अली मुझसे हैं और मै अली से और अली हर मोमिन के दोस्त हैं
  4. हज़रत ज़ैद अरकम कहते हैं रसूले पाक सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसका मैं दोस्त हूं उसके अली दोस्त हैं।
  5. हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम फरमाते हैं रसूले खुदा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया मैं हिक्मत का मकान हूं और अली उसका दरवाज़ा हैं।
  6. हज़रत उम्मे सलमा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं रसूले पाक सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया अली से मुनाफिक को मोहब्बत ना होगी और मोमिन अली से बुग्ज़ (दुश्मनी) नहीं करेगा।
  7. राफज़ी फिरका हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम के ज़माने में अब्दुल्लाह बिन सबा की शरारत और बहकावे की वजह से पैदा हुआ।
  8. रसूले खुदा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम की बरकत से हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम गर्मियों में जाड़ों के कपड़े और जाड़ों में गर्मियों के कपड़े पहनते थे और गर्मी या सर्दी की कोई तकलीफ महसूस नहीं होती थी ।
  9. कयामत के क़रीब इमाम मेंहदी रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु जब पैदा होंगे तो वोह इमाम हसन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु की औलाद में से होंगे ।
  10. मशहूर तारीखी तलवार ज़ुलफिकार का ये नाम इसलिए पड़ा कि उसमें 18 दनदाने थे । हारून रशीद तक उस तलवार का पता चलता है वो खुद भी कभी कभी उस तलवार को लगाया करते थे।
  11. हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम दौड़ लगाने में बहुत तेज़ थे
  12. जनाब इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु ने मौदाने कर्बला में जो आखरी नमाज़ को खंजर तले अदा फरमाई वोह काबे के अंदर पढ़ी हुई लाखों नमाज़ों से भी अफ़ज़ल हैं।
  13. हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम फरमाते हैं इमाम हसन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु सीने से लेकर सर तक रसूले खुदा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम के बहुत ज़्यादा हमशक्ल हैं, और जनाब इमाम हुसैन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु नीचे के बदन बहुत ज़्यादा हमशक्ल हैं।
  14. रसूले खुदा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम का इरशादे गिरामी है कि खुदा से मोहब्बत करो क्योंकि वोह तुम्हें नेमतें देकर पालता है और उस मुहब्बत को वजह से मुझसे मुहब्बत करो और मेरी मुहब्बत को वजह से मेरे अहले बैत से मुहब्बत करो।
  15. हज़रत अबूज़र रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु काबे का दरवाज़ा पकड़े पकड़े कह रहे थे मैंने रसूले खुदा सल्लल्लाहु ताआला अलैहि वसल्लम से सुना है आप फरमा रहे थे के मेरे अहले बैत की मिसाल ऐसी है जैसे हज़रत नूह अलैहिस्सलाम की कश्ती जो उसमें हो गया वोह डूबने से बच गया और जो उसमें सवार न हुआ वोह डूब गया।

Nikah ke waqt Hazrat Ali ki umar : निकाह के वक्त हज़रत अली की उम्र:-

निकाह के वक्त हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम की उम्र शरीफ़ इक्कीस साल पांच महीने थी और हज़रत बीवी फातिमा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हा की उम्र पंद्रह साल साड़े पांच महीने थी।

Hazrat Ali ki mazar ko duniya se kiu chupaya gaya : हज़रत अली की मज़ार को दुनियां से क्यों छुपिया गया:-

चुंकि खारजी हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम के बहुत बड़े मुखालिफ थे इसलिए जो हक़ पे थे उन्होंने इस खयाल से को कहीं खारजी आप की मज़ार की बेहुरमती न करें उनकी कब्रे अतहर छुपा दी चुनांचे एक मुद्दत तक किसी को पता ही न चला की आपकी कब्र कहां है फिर हारून रशीद के ज़माने में ज़ाहिर हुई। एक दिन हारून रशीद शिकार को जंगल में गया ,उसने कुत्तों को शिकार के हिरनो पर छोड़ा न तो कुत्तों ने हिरनो पर हमला किया और न हिरन उनसे डरकर भागे हारून रशीद को ये देखकर बहुत ताज्जुब हुआ। उसने एक बूढ़े से पूछा किया माजरा है उसने बोला हम बुज़ुर्गों से सुनते आए हैं कि इस जंगल में हज़रत मौला अली कर्रमुल्लाहु वजहुल करीम की कब्र शरीफ़ है जब बादशाह ने ये सुना तो कब्र को ढूंढकर वहां रौज़ा बनवा दिया चुनाँचे अब उस मकाम को “नजफ अशरफ” कहते हैं।

Bivi Fatima ka Maher kitna tha : बीवी फातिमा का महेर कितना था:-

हज़रत बीवी फातिमा रज़ीयल्लाहु तआला अन्हा का महेर चार सौ मिस्काल चांदी मुकर्रर हुआ था। चार सौ मिस्काल चांदी अंग्रेज़ो के ज़माने में जो चांदी का रुपया चलता था उससे एक सौ साठ रूपए भर होती है।

Zainul abideen ki umr : ज़ैनुल आबिदीन की उम्र:-

हज़रत ईमाम ज़ैनुल आबिदीन रज़ीयल्लाहु तआला अन्हु करबला के वाकीये के वक्त 24 साल के थे मशहूर है कि ईरान के “ताजदारे यज़दजर”की बेटी हज़रत शहेरबानो के बेटे हैं।

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