क्या आपको पता है की अल्लाह ताला ने सबसे पहले किस चीज़ को बनाया और अल्लाह ताला ने अपने महबूब के बारे में क्या फरमाया है। आज इस पोस्ट में हम जानेंगे की अल्लाह ताला ने सबसे पहले कौन से नूर को बनाया और फिर उस नूर से अल्लाह ताला ने सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के नूर को केसे बनाया।
Noore Muahammadi : नूरे मुहम्मदी
Allah tala ne sabse pehle kya banaya : अल्लाह तअ़ला ने सबसे पहले क्या बनाया
कायनात को बनाने वाले (जिसकी शान बलंदो वाला है) ने सबसे पहले मुहम्मद सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम के नूर को बनाया|
जैसे के हदीसे नबवी है
“اول ما خلق الله نوری”
तरजुमा :-“अल्लाह तअ़ला ने सबसे पहले मेरे नूर को बनाया*
एक और हदीस है नबीये करीम सल्लल्लाहो ताआ़ला अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया
انا من نور الله والخلق کلھم من نوری
तरजुमा :-” मैं पैदा हुआ हूं अल्लाह के नूर से और मेरे नूर से सारी मखलूक़ है”|
अल्लाह तअ़ला ने पहले अपने नूर से अपने प्यारे नबी सल्लल्लाहो तअ़ला अलैही वसल्लम का नूर बनाया फिर जब आ़लम को पैदा करना चाहा तो उस नूर के 4 हिस्से किए, पहले से क़लम दूसरे से लौन तीसरे से अर्श बनाया, फिर चौथे टुकड़े के चार हिस्से कीए, और उनसे मलाइका अर्श को उठाने वाले, कुर्सी और बाकी फरिश्ते पैदा किए |
hamare nabi kaunsi mitti se banae gae : हमारे नबी कौन सी मिट्टी से बनाए गए:-
ह़ज़रत कअ़ब अह़बार से मनक़ूल है, कि जब अल्लाह तअ़ला ने हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम को पैदा करना चाहा ,तो जिब्रील अलैहिस्सलाम को हुकुम दिया के सफेद मिट्टी लाओ, जिब्राइल अलैहिस्सलाम जन्नत के फरिश्तों के साथ ज़मीन पर उतरे और मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम की क़ब्र शरीफ की जगह से मुट्ठी भर खाक सफेद चमकती और दमकती उठा लाए ,फिर वह सफेद खाक जन्नत के चश्म-ए-तस्नीम से गूंदी गई, यहां तक के सफेद मोती के मानिंद हो गई जिसकी बड़ी रौशनी थ,उसके बाद फरिश्ते उसे लेकर अ़र्श और कुर्सी के गिर्द और आसमानों और ज़मीन में फिरे यहां तक के तमाम फरिश्तों ने आप सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम(रूह़े अनवर और माद्दए अतहल) को आदम अलैहिस सलाम की पैदाइश से पहले पहचान लिया|
hamare nabi kabse hain : हमारे नबी कब से हैं:-
Aadam alaihissalam ke anugutho me hamare nabi ka noor : आदम अलैहिस्सलाम के अंगूठे में हमारे नबी का नूर:-
- एक रिवायत में आया है मौला ए करीम ने अपने ह़बीब सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम के नूर को हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के अंगूठों के नाखूनों में शीशे की तरह चमकाया ,आदम अलैहिस्सलाम ने देखते ही अंगूठों को चूम लिया और आंखों पर मसा किया” |
- अल्लाह तआ़ला ने हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की पैदाइश से 2000 साल पहले हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम का नाम अपने नाम के साथ लिखा “|
- मुस्लिम शरीफ में है हज़रत जाबिर रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से मरवी है कि सैयद ए आलम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने फ़रमाया मैं उस पत्थर को पहचानता हूं जो वअ़सत (पैगंबर बनाकर भेजने का अमल) से पहले मुझे सलाम किया करता था |
Humare nabi Ka Naam Mohammad kab rakha : हमारे नबी का नाम मुहम्मद कब रखा
हज़रत अनस रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह तआ़ला ने कायनात को बनाने से 2000 साल पहले हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम का नाम मुहम्मद रखा |
hamare nabi ki shan me kuuch rivayate : हमारे नबी की शान मे कुछ रिवायतें
- रूह की तरक्की 9 किस्म पर है (1)मोमिन (2)आ़बिद (3)ज़ाहिद (4)आ़रिफ़ (5)वली (6)नबी (7)रसूल औलुल अ़ज़्म (9)ख़ातम
- नबी ए पाक सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम में यह तमाम मरतवे मौजूद हैं, मगर हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम का मर्तबा अल्लाह तआ़ला के अलावा किसी में नहीं |
- इमाम शअ़बी ने फरमाया के बोअ़सते अक़दस (पैगंबर बनाकर भेजने का अमल)के शुरू के 3 साल हज़रत इसरफील अलेहीस्सलाम “वही”लाने पर मुकर्रर थे , फिर यह ख़िदमत हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम को सौंपी गई उन्हीं के वसीले से पूरा कुरान नाज़िल हुआ |
- हुज़ूर सरवरे कायनात सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम को पहले नींद में 6 माह लौह़े मह़फूज़ की सैर कराई गई,फिर 23 साल बेदारी में, 23 साल का 46 वां हिस्सा छह माह होता है, इसीलिए कहा गया है कि मोमिन का सच्चा ख्वाब नबूवत का 46 वां हिस्सा होता है |
- हुजूर सल्लल्लाहो ताला अलेही वसल्लम कअ़बे का कअ़बा हैं, इसीलिए आप की पैदाइशे पाक पर कअ़ब-ए-मुअ़ज़्ज़मा ने हज़रत आमना खातून के मकान या मक़ामे इब्राहीम की तरफ सजदा किया|
Meraje nabvi : मेराजे नबवी
date off meraj : मेराज की तारीख़
सरवरे कायनात सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम को बोअ़सते अक़दस (पैगंबर बनाकर भेजने का अमल) से बारहवीं बरस ज़माने क़याम मक्के में रजब की 27 वीं तारीख को शबे यौमे मुबारका को पीर के दिन मेराज हुई |
sawari : सवारी
सरवरे आलम सल्लल्लाहो तआ़ला अ़लैही वसल्लम मेराज की रात मक्के से बैतूल मुकद्दस तक ,बुराक पर बैतूल मुकद्दस से आसमान दुनिया तक मेराज( एक सीढ़ी) पर, वहां से सातवें आसमान तक फरिश्तों के बाजू पर,वहां से सिद्रतुल मुंतहा तक, जिब्रील अलैहिस्सलाम के बाजू पर और सिद्रतुल मुंतहा से अर्श तक रफ रफ पर तशरीफ ले गए,और वापसी भी इसी तरह हुई |
important Riwayate About Meraj : मेराज के मुतालिक चंद अहम रिवायतें
मेराज की रात हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने ज़मीन पर अंबिया-ए-इकराम की इमामत की और आसमानों पर मलाइका की इमामत की |
मेराज की रात नबीये करीम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने बैतूल मुकद्दस में अंबियाए इकराम की इमामत फरमाई, यह कौन सी नमाज़ थी?
- इसमें उ़लेमा के दो क़ौल हैं उ़लेमा फरमाते हैं, कि यह नमाज़ आसमान की तरफ परवाज़ करने से पहले बैतुल मुक़द्दस में पढ़ाई, इस सूरत में यह ईशा की नमाज़ हुई, कुछ उ़लेमा का कॉल यह है, कि सरवरे कायनात सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने सफरे मेराज से वापसी पर यह नमाज़ पढ़ाई इस सूरत में यह फज्र की नमाज़ हुई,कुछ उ़लेमा का ख़्याल
- यह भी है,कि हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने मेराज को जाते वक्त और वहां से वापसी पर दोनों वक्त इमामत फरमाई |
- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम को मेराज की रात सवारी के लिए जो बुराक अ़ता हुआ वह गधे से कुछ बड़ा और ख़च्चर से कुछ छोटा था, चेहरा इंसान का सा ,उसकी पूंछ ऊँट की तरह ,अयाल घोड़े के से, पैर भी ऊंट की तरह,खुर बैल के जैसे थे, और पीठ सफेद मोती की तरह चमक रही थी, उसकी रानों में दो पर थे, उसकी लगाम जन्नत की हुरैर थी |
- सरवरे आ़लम सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम ने मेराज की रात अल्लाह ताला से 90,000 कलमें समाअ़त फरमाए |
Conclusions : नतिज़ा
आज हमने इस पोस्ट में बताया है कि अल्लाह ताला ने सबसे पहले किस चीज को बनाया और अपने महबूब को किस नूर से बनाया है। इसके अलावा हमने मेराज का भी ज़िक्र किया है।
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