आज की इस पोस्ट में हम अपने नबी के जिहाद के बारे में जानेंगे और हमारे नबी पर जिहाद के वक्त कितने ज़ुल्म हुए इस बात को भी जानेंगे और इन बातों पर गौर करेंगे :-
- दावते इस्लाम के तीन दौर
- सारे नबियों की तरह हमारे नबी ने भी जिहाद किया
- रहमते आ़लम पर ज़ुल्मों सितम
- हमारे नबी के गले में फंदा डाला गया
- नमाज़ में ओझड़ी डाली गईं
Dawate Islam ke 3 dor : दावते इस्लाम के तीन दौर
ऐलाने नबूव्वतत के बाद इस्लाम की तबलीग़ हमारे नबी मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने कभी छुपकर की कभी ऐलानिया की हम उन सब को तीन दौर मैं बयान करेंगे |
पहला दौर:-
3 बरस तक ह़ुज़ूरे अ़क़दस सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम बहुत ज़्यादा छुपकर और राज़दारी के साथ इस्लाम की तबलीग़ का फर्ज़ अदा फरमाते रहे, और इस दरमियान औरतों में सबसे पहले हज़रत बीबी खदीजा रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हा और आज़ाद मर्दों में सबसे पहले हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु और लड़कों में सबसे पहले हज़रत अ़ली रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु और ग़ुलामों में सबसे पहले हज़रत ज़ैद इब्ने ह़ारिसा रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु ईमान लाए | फिर हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु की दावत और तबलीग़ से हज़रत उ़स्मान, हज़रत ज़ुबैर इब्ने अ़वाम, हज़रत अ़ब्दुर्रह़मान इब्ने औ़फ, हज़रत सअ़द बिन अबी वक़ास, हज़रत तल्ह़ा बिन उ़बैदुल्ला रज़िअल्लाहुतआ़ला अ़न्हुम भी जल्द ही दामने इस्लाम में आ गए, फिर चंद दिनों के बाद हज़रत अबू उ़बैदा बिन जर्राह व हज़रत अबू सलमा अ़बदुल्लाह इब्ने अ़ब्दुल अ़सद व हज़रत अरक़म बिन अरक़म व ह़ज़रत उ़स्मान बिन मज़ऊ़न और उनके दोनों भाई हज़रत क़ुदामा और हज़रत अ़ब्दुल्लाह रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हुम भी इस्लाम में दाखिल हो गए |फिर कुछ मुद्दत के बाद हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारी, हज़रत सुहैब रूमी, हज़रत उ़बैदा बिन ह़ारिस बिन अ़ब्दुल मुत्तलिब सई़द बिन ज़ैद और उनकी बीबी फातिमा बिंते हजरत उमर बिन ख़त्ताब रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हुम ने भी इस्लाम क़बूल कर लिया और हुज़ूर की चच्ची हज़रत उम्मे फज़ल हज़रत अब्बास इब्ने अब्दुल मुत्तलिब की बीवी और हज़रत असमा बिन्ते अबू बकर भी मुसलमान हो गईं | उनके अलावा दूसरे बहुत से मर्दों और औरतों ने भी इस्लाम लाने का शर्फ हासिल कर लिया |
यह साफ जाहिर कर दें के सबसे पहले इस्लाम लाने वाले जो” साबिक़ीने अव्वलीन” के नाम से सरफराज़ हैं,उन खुशनसीबों कि लिस्ट पर नज़र डालने से पता चलता है कि सबसे पहले दामने इस्लाम में आने वाले वही लोग हैं जो फितरती तौर पर पहले ही से सच्चे दीन की तलाश में थे और मक्का के काफिरों के शिर्क और बुत परस्ती जैसी मुश्रिकाना जाहिलियत से बचे हुए थे, चुनांचे नबीये बरह़क के दामन में दीने ह़क़ की रौशनी देखते ही, यह नेकवक्त़ लोग परवानों की तरह शम्मऐ नबूव्वत पर निसार होने लगे और इस्लाम को क़बूल कर लिया |
दूसरा दौर:-
3 बरस के इस खुफिया दावते इस्लाम में मुसलमानों की एक जमाअ़त तैयार हो गई | उसके बाद अल्लाह तआ्ला ने अपने हबीब सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम पर सूरए “शोअ़रा” की आयत
وَأَنْذِرْ عَشِيرَتَكَ الْأَقْرَبِيْنَ
नाज़िल फरमाई और खुदाबंदे तआ़ला का ह़ुक्म हुआ, कि ऐ मह़बूब आप अपने क़रीबी खानदान वालों को खुदा से डराइए तो हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने एक दिन सफा पहाड़ की चोटी पर चढ़कर कहां क़ुरैश के कबीले वालों तो सब क़ुरैश के क्बीले वाले वहां पर आ गए | तो आप ने फरमाया कि मेरी क़ौम अगर मैं तुम लोगों से यह कह दूं कि उस पहाड़ के पीछे एक लश्कर छुपा हुआ है, जो तुम पर हमला करने वाला है तो क्या तुम मेरी इस बात का यकीन कर लोगे तो सब ने एक ज़बान होकर कहा कि हां-हां हम यकीनन आपकी बात का यकीन कर लेंगे, क्योंकि हमने आपको हमेशा सच्चा और ईमानदार ही पाया है,आपने फरमाया अच्छा तो फिर मैं यह कहता हूं कि” तुम लोगों को अ़ज़ाबेइलाही से डरा रहा हूं” और अगर तुम लोग ईमान न लाओगे तो तुम पर अ़ज़ाबे इलाही उतर पड़ेगा|यह सुनकर तमाम क़ुरैश जिनमें आपका चाचा अबुलहैब भी था, सख्त नाराज़ होकर सब के सब चले गए और हुज़ूर की शान में अनाप-शनाप बोलने लगे |
तीसरा दौर:-
अब वक्त आ गया ऐलाने नबूव्वत के चौथे साल सूरह ह़जर की आयत ” فَاصْدَعْ بِمَا تُؤْمَرُ وَأَعْرِضْ عَنِ الْمُشْرِكِينَ
नाज़िल हो गई और अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने यह हुकुम फरमाया ऐ मह़बूब आपको जो हुक्म दिया गया है, उसको खुलेआम बयान फरमाएं चुनांचे उसके बाद आप ऐलानिया तौर पर दीने इस्लाम की तबलीग़ फरमाने लगे और शिर्क व बुत परस्ती की खुल्लम-खुल्ला बुराई बयान करने लगे और तमाम क़ुरैश बल्कि तमाम अहले मक्का बल्कि पूरा अरब आपकी मुखालिफत पर उतर आया और हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम और मुसलमानों को तकलीफ पहुंचाना शुरू कर दी |
सारे नबियों की तरह हमारे नबी ने भी जिहाद किया : Sare nabio ki tarah hamare nabi ne bhi Jihad kiya
नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम में तमाम नबियों की शान थी,आप ईसा अलैहिस्सलाम की तरह झुटलाए गए, फिर भी साबिर और शाकिर ही पाए गए, आपने यह़या अलैहिस्सलाम की तरह बयाबानों और बस्तियों में अल्लाह की आवाज़ पहुंचाई, आपने अय्यूब अलैहिस्सलाम की तरह सब्र के साथ घाटी में 3 साल तक कैद के दिन काटे और फिर भी आपका दिल खुदा की शुक्रगुज़ारी से भरा और ज़ुबान ह़म्दे इलाही में डूबी रही, आपने नूह अलैहिस्सलाम की तरह क़ौम के बुरे लोगों को खुफिया और ऐलानिया, अकेले में और महफिल में, मेलों और जलसों में, रास्तों और चौराहों पर, पहाड़ों और मैदानों में इस्लाम की तबलीग फरमाई और लोगों को उनके बुरे कामों से नफरत दिलाई, आपने इब्राहीम अलैहिस्सलाम की तरह नाफरमान क़ौम से अ़लैहदगी इख़्तियार कर ली, और मक्के से मदीने की जानिब हिजरत की आप दाऊद अलैहिस्सलाम की तरह हिजरत की रात दुश्मनों के लश्कर से निकलने में कामयाब हुए, आपने यूनुस अलैहिस्सलाम की तरह जिन्होंने मछली के पेट में रहकर फिर “नैनवा देश” में अपनी तबलीग़ को जारी किया था, आप सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने भी 3 दिन ग़ारे सौर के पेट में रहकर फिर मदीना तैय्यबा में कलिमतुल्लाह की आवाज़ को बुलंद फरमाया आपने मूसा अलैहिस्सलाम की तरह जिन्होंने बनी इसराईल को फिरऔ़नन की ग़ुलामी से आज़ाद कराया था, आप सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने शुमाली अरब को शाह कुस्तुनतुनिया की गुलामी से और मशरिकी अरब को कसरा रूम से और जुनूबी अरब को शाह ह़ब्श की गुलामी की ज़ंजीरों से निजात दिलाई |
आपने यूसुफ अलैहिस्सलाम की तरह अपने तकलीफ देने वाले भाइयों जो मक्का के थे उनके लिए नज्द से गल्ला पहुंचाया और बिल आखिर फतह मक्का के दिन सबको आम माफी देकर एहसान फरमाया, आप एक बार मूसा अलैहिस्सलाम की तरह साहिबे हुकूमत भी थे और हारुन अलैहिस्सलाम की तरह साहिबे अमानत भी सुलेमान अलैहिस्सलाम की तरह मक्का में बैतुल्लाह तामीर किया जो क़यामत तक के लिए अल्लाह को याद करने वालों से मामूर रहेगा उसे आज तक कोई बुरे नसीब वाला वीरान ना कर सका |
रहमते आ़लम पर ज़ुल्मों सितम : Rahmate Alam par Zulmo Sitam
ह़ुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने ऐलाने कलिमतुल ह़क़ के रास्ते में बहुत तकलीफें झेलीं
ताईफ वालों का ज़ुल्म : Taif walo ka Zulm
एक मर्तबा इस्लाम की तबलीग़ के लिए आप सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ताइफ गए वहां दावते इस्लाम के जवाब में लोग बहुत बुरे अख़लाकों से पेश आए बदमाशों और लफंगों को हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम के पीछे लगा दिया | यह गुंडे बदमाश आप पर टूट पड़े और पत्थर मारने शुरू कर दिए, आप जिधर जाते यह लोग आपके पीछे पथराव करते चलते हज़रत ज़ैद ने अपने जिस्म को आपकी ढाल बना रखा था | इतनी पत्थरबाजी हुई के जिसमें मुबारक लहूलुहान हो गया, और नालैन पाक खून से भर गए, आखिर आपने बड़ी मुश्किल से एक बाग में अंगूर की बेलों में पनाह ली,हज़रत ज़ैद ने “जिस्में अतहर” का खून पोंछा, नअ़लैन मुबारक में इतना खून जम गया था कि आप वुज़ु करते वक़्त मुश्किल से अपने पांव निकाल सके ह़ुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलेही वसल्लम ने फरमाया यह मेरे लिए बहुत सख्त दिन था, मैं बाग से निकलकर गमज़दा आ रहा था कि अचानक बादल के एक टुकड़े ने मेरे ऊपर साया कर लिया मैंने जो नज़र उठाकर देखा तो जिब्राईल अलैहिस्सलाम थे उन्होंने कहा जो कुछ आपके साथ हुआ है ह़क़ तआ़ला ने उसे देखा और अगर आपकी मर्ज़ी हो तो ताईफ के दोनों पहाड़ों को आपस में मिलाकर यहां के यहां की तमाम आबादी को तहस-नहस कर दिया जाए, आप ने कहा नहीं मैं उनकी हलाकत और बर्बादी नहीं चाहता, मुझे खुदा के फज़्ल से उम्मीद है कि ह़क़ तआ़ला उन्हीं में से ऐसे लोगों को पैदा करेगा जो एक ख़ुदा की इ़बादत करेंगे और उसके साथ किसी को शरीक नहीं ठहरायेंगे | चुनांचे 11 साल बाद यही ताईफ वाले थे जिन्होंने ह़ुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम की दुश्मनी से हाथ खड़े कर दिए और आपके कदमों में गिर कर मुसलमान हो गए |
हमारे नबी के गले में फंदा डाला गया : Hamare Nabi ke Gale Me Phanda Daala gaya
एक मर्तबा आप ह़रमें कअ़बा में नमाज़ पढ़ रहे थे, कि एक पत्थर दिल काफ़िर उ़क़बा बिन अबी मुअीत़ ने आपके गले में चादर का फंदा डालकर इतनी ज़ोर से खींचा कि आपका दम घुटने लगा चुनांचे यह मंज़र देखकर हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु बेकरार होकर दौड़ पड़े और उ़क़बा बिन अबी मुअीत़ को धक्का देकर दूर किया और यह कहा कि क्या तुम लोग ऐसे आदमी को क़त्ल करते हो जो यह कहता है कि “मेरा रब अल्लाह है”, इस धक्कम धक्का में हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु ने कुफ्फार को मारा भी और कुफ्फार की मार भी खाई |
Namaz me Ojhdi daali gai : नमाज़ में ओझड़ी डाली गईं
एक मर्तबा नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ह़रमें कअ़बा में नमाज़ पढ़ रहे थे नमाज़ की हालत में अबू जहल ने कहा कि कोई है जो फुलां शख्स के ज़िबाह़ किए हुए ऊंट की ओझड़ी लाकर सजदे की हालत में मुहम्मद के कंधों पर रख दे यह सुनकर उ़क़बा बिन अबी मुअीत़ काफिर उठा और उस ओझड़ी को लाकर ह़ुज़ूर सल्लल्लाहु ताआ़ला अ़लैही वसल्लम के कंधों पर रख दी ह़ुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम सज्दे में थे देर तक वो ओझड़ी कंधे और गर्दन पर पड़ी रही और कुफ्फार कहकहा मार कर हंसते रहे और मारे हंसी के एक दूसरे पर गिरे पड़ते | आखिर बीबी फातिमा रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हा जो उन दिनों अभी छोटी लड़की थीं आईं और उन काफिरों को बुरा भला कहते हुए उस ओझड़ी को आपके ऊपर से हटाया ह़ुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम के दिल पर कुफ्फारे क़ुरैश की इस शरारत से बहुत सदमा गुज़रा और नमाज़ से फारिग़ होकर 3 मर्तबा यह दुआ मांगी ऐ अल्लाह तू क़ुरैश को अपनी गिरफ्त में पकड़ ले फिर अबू जहल, उ़त्बा बिन रबीआ़, शैबा बिन रबीआ़ वलीद बिन रबीआ़, उमय्या बिन ख़ल्फ, अ़मारा बिन वलीद का नाम लेकर दुआ मांगी के इलाही तो इन लोगों को अपनी गिरफ्त में ले ले ,हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने मसऊ़द रज़िअल्लाहुतआ़लाअन्हु फरमाते हैं कि खुदा की क़सम मैंने उन सब काफिरों को जंग-ए-बदर के दिन देखा कि उनकी लाशें ज़मीन पर पड़ी हुई हैं, फिर उन सब कुफ्फार की लाशों को ज़िल्लत के साथ घसीट कर बदर के एक गड्ढे में डाल दिया गया और ह़ुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने फरमाया गड्ढे वालों पर खुदा की लानत है|
बुख़ारी शरीफ सफा 74
इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।