Hamare Nabi sallallahu alaihi wasallam ki Azmate : हमारे नबी की अ़ज़मतें

आज हमें इस पोस्ट में अपने नबी सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की अज़मतों के बारे में जानेंगे और चंद बातों पर गौर करेंगे:-

  1. मोहरे नबुव्वत
  2. जिस्म मुबारक की कुछ अहम बातें
  3. ज़ुलफिक़ार
  4. सबसे बेहतर पानी कौन सा है
  5. शैतान का ईमान लाना
  6. खाने के कुछ अह़काम
  7. हमारे नबी की नालैन
  8. Hamare Nabi ki jurabe or moze
  9. 7 चीज़ें हमारे नबी के हमेशा साथ रहती थी

Mohre nabuwwat : मोहरे नबुव्वत:-

मोहरे नबुव्वत हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की गर्दन के नीचे दो कंधों के दरमियान एक गोश्त था, जिस पर कुछ तिल थे कबूतर के अंडे के बराबर और वह गोश्त बहुत नूरानी चमकदार था, काले तिल, आसपास बाल, उनके जमा होने से यह जगह बहुत अच्छी मालूम होती थी, नीचे से देखो तो पढ़ने में यूं आता था “अल्लाहू वह़दहू ला शरीका लहू” ऊपर से देखो तो यूं पढ़ा जाता था, “तवज्जहू ह़ैसु कुंता फाइन्नका मनसूरुन” उसे मोहरे नबुवत इसलिए कहते थे, कि गुज़रे हुए ज़माने की आसमानी किताबों में उस मोहर को हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम के ख़ातिमुन्नबिय्यीन होने की अलामत करार दिया गया था, वफाते अक़दस के वक़्त यह मोहरे नबुव्वत गायब हो गई थी, इसमें इख़्तिलाफ है कि वक़्त ए विलादत मौजूद थी या नहीं बाज़ उ़लमा ने फरमाया शक्के सदृ( फरिश्तों ने जो सीने मुबारक को चाक किया था) के बाद फरिश्तों ने जो टांके लगाए थे, उनसे यह मोहर पैदा हो गई थी, सही यह है कि वक्त ए विलादत असली मोहर मौजूद थी मगर उसका उभार उन टांकों के बाद हुआ |

Jism mubark ki kuch aham batae : जिस्म मुबारक की कुछ अहम बातें:-

  1. सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम की भोयों के दरमियान एक रग थी, जो गुस्से की हालत में सुर्ख हो जाती थी |
  2. नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम अपने दादा करीम हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से बहुत ज़्यादा मिलते जुलते थे |
  3. हजरत अनस रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु फरमाते हैं मैंने हुज़ूर अक़दस सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम के सर मुबारक और दाढ़ी मुबारक में सिर्फ 14 बाल सफेद शुमार किए |
  4. हुज़ूर सल्लल्लाहो तआ़ला अलैही वसल्लम की अंगूठी चांदी की थी, और उसका नगीना ह़ब्श का अ़क़ीक़ था
  5. सरकारे दो आ़लम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की तलवारे मुबारक का कब्ज़ा चांदी का बना हुआ था |
  6. रसूले करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम का तहेबंद शरीफ पिंडलियों के थोड़ी नीचे तक होता था |
  7. नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम जब खाना खाते तो अपनी उंगलियां 3 मर्तबा चाटते थे |
  8. हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने तमाम उम्र ना तो चौकी पर बैठकर खाना खाया और न ही चपाती खाई |
  9. नबी ए करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने फरमाया बेहतरीन सालन सिरका है जिसके घर पर यह मौजूद होता है वहाँ मुफलिसी नहीं आती |
  10. जिस बिस्तर पर रसूले खुदा सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम आराम फरमाते थे वह चमड़े का था और उसमें खजूर की मोझ भरी हुई थी |
  11. मुफस्सिरीने इकराम कहते हैं, “कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को अगर ऐसा ह़ुस्न दिया जाता कि देखने वाले मिश्र की औरतों की तरह हैरत शुदा होकर हाथ काट लेतीं जिस तरह यूसुफ अलैहिस्सलाम को देखकर अपने हाथ काटे थे,तो ये ख़ुदा की रह़मत के ख़िलाफ होता, आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहुतआ़ला तआ़ला अन्हा फरमाती हैं के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम का हुस्न दिल में पैवस्त होता था, अगर आपको मिश्र की औरतें देख लेती तो बजाय हाथों के दिलों को काट देती |

Zulfiqar : ज़ुलफिक़ार

हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अ़लैही वसल्लम ने ख्वाब देखा कि आपके सामने कुछ गायें ज़िबाह़ की जा रही हैं, और देखा कि आप की तलवार टूट गई है, मगर बाद में पहले से बेहतर हो गई है, आपके ख्वाब की ताबीर की सूरत में बद्र की गनीमत मैं ज़ुल्फिक़ार मिली जो “मुनब्बा इब्ने ह़ुज्जाज सेहमी” की तलवार थी,ह़ुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने यह तलवार अपने लिए पसंद फरमाली और जंगे खंदक में “मौला अली कर्रमुल्लाहु वज्हू” को बख़्श दी, क्योंकि इसके मुख्तलिफ पर्त थे इसलिए इसे ज़ुल्फिक़ार यानी जोड़ और पर्त वाली तलवार कहते हैं |

Sabse behtar paani : सबसे बेहतर पानी कौन सा है:-

बाज़ उ़लमा कहते हैं कि, तमाम दुनिया के पानियों से ज़मज़म अफ़ज़ल है, मगर ज़मज़म से भी अफज़ल वह पानी है जो एक मौके पर हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की उंगलियों से जारी हुआ, उसकी वजह यह है कि ज़मज़म तो एक नबी के तलवे से जारी हुआ था, और यह पानी सैय्यदुल मुरसलीन की मुबारक उंगलियों से निकला था |

Shaitan ka iman lana : शैतान का ईमान लाना

कोई भी इंसान पैदा होता है तो उसके साथ में एक शैतान भी पैदा होता है जो उसे पूरी ज़िंदगी अच्छे कामों से रोकता है हुज़ूरे अनवर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम का शैतान जो साथ रहता था, वह मुसलमान हो गया था, यह खुसूसियत सरकार के सदके़ में दूसरे अंबिया को भी हासिल हुई |

Khane ke kuch ahkam : खाने के कुछ अह़काम

हजरत अनस रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु कहते हैं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम को हांडी के नीचे की चीज़ यानी खुरचन बहुत पसंद थी |

  1. हजरत अली रज़िअल्लाहुतआ़ला अल्लाह अन्हु कहते हैं रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने कच्ची प्याज़ खाने से मना फ़रमाया है अलबत्ता पकी हुई प्यास खाने की इजाज़त दी है |
  2. हज़रत अबूज़र गफ्फारी रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु का कहना है, हज़रत आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहुतआ़ला अ़न्हा से लहसन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने फरमाया रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने जो आखरी खाना खाया है उसमें पका हुआ लेसन पढ़ा हुआ था |
  3. सरवरे आ़लम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम खजूर और मक्खन को बहुत पसंद करते थे |
  4. हजरत अनस रज़िअल्लाहुतआ़ला अन्हु कहते हैं नबीये करीम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने फरमाया तुम्हारे खानों का सरदार नमक है |

Hamare Nabi ki nalain : हमारे नबी की नालैन

ह़ुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम का नअ़लैन पाक अरबी तरीके के मुताबिक चप्पल या खड़ाऊँ की सी शक्ल का था, जिसके दो तस्मे थे एक अंगूठे और साथ वाली उंगली के दरमियान रहता और दूसरा छंगुलिया और उसके साथ वाली उंगली के बीच में यह एक बालिश्त दो उंगल लंबा था, तलवे के पास से 7 उंगल चौड़ा और दोनों तस्मों के दरमियान पंजे से दो उंगल का फासला था |

Hamare Nabi ki jurabe or moze : हमारे नबी की जुराबें और मोज़े

सरवरे आलम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम ने जुराबें और मोज़े भी इस्तेमाल फरमाए, शाह नजाशी ने काले रंग के सादा मोज़े बतौरे तोहफा भेजे थे, उन्हें पहना और उन पर मसा फरमाया इसी तरह हज़रत दहि़या कलबी ने भी मोज़े तोहफे में पेश किए थे, उनको आपने फटने तक इस्तेमाल किया |

Sat cheeze Hamare Nabi ke hamaesha sath rehti thi : 7 चीज़ें हमारे नबी के हमेशा साथ रहती थी:-

सफर और हज़र में सात चीजें हमेशा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम के साथ रहती थीं (1) तेल की शीशी (२) कंघी हाथी के दांत की (3)काले रंग की सुरमेदानी (4)कैंची (5)मिस्वाक (6)शीशा (7)लकड़ी की एक पतली खपची

Conclusions

आज हमने इस पोस्ट में हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु तआ़ला अलैही वसल्लम की अज़मतों के बारे में बात की है.

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इस पोस्ट को लिखने मैं या कहने में कोई गलती हो गई हो तो अल्लाह से दुआ है की वो सरकारे मदीना सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सदके से गलती को माफ कर दे।

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